पाकुड़ के बुनियादी मुद्दों पर सिर्फ राजनीति होगी या जमीनी स्तर पर काम भी होगा?चुनावी माहौल में पूछ रहे हैं लोग |

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यासिर अराफ़ात @झारखंड उजाला ब्यूरो।

पाकुड़ : संथाल परगना का एक छोटा सा जिला पाकुड़.शिक्षा रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे पिछड़ा जिला माना जाता है. हालांकि पहले की तुलना में पाकुड़ जिला में बहुत सारे विकास हुए हैं. जिसे बिल्कुल नकारा नहीं जा सकता. यह क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. विधायक और सांसद बनाने में मुस्लिम वोटर काफी निर्णायक साबित होते हैं. परंतु आज भी अगर देखा जाए तो पाकुड़ जिला में शिक्षा का आलम यह है कि अक्सर विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों का भविष्य नहीं बन पा रहा है. अक्सर गांव में स्वास्थ्य सेवाएं बहाल नहीं है. यहां तक की पाकुड़ मुख्यालय से कुछ दूरी पर सोनाजोड़ी सदर अस्पताल की स्थिति आज तक सही नहीं हो पाई. आज भी डॉक्टरों की कमी के कारण यह अस्पताल रेफर अस्पताल के नाम से जाना जाता है. अस्पताल में कुल 32 डॉक्टरों की जरूरत है जहां मात्र 7 से 8 ही डॉक्टर है. शिक्षा व्यवस्था तथा स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर खासकर इस अस्पताल को लेकर राजनीति भी बहुत होती है. राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगाती रहती है. परंतु इसमें सिर्फ राजनीति ही होती है. इन राजनीतिक दलों के कारण आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. रोजगार का आलम ऐसा कि अक्सर यहां के युवाओं को दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए जाना पड़ता है. इसका जीता जागता अगर सबूत देखने हो तो पाकुड़ रेलवे स्टेशन में हर रोज मजदूरों का एक बड़ा जत्था देखने को मिल जाएगा. जो दूसरे प्रदेशों में काम के लिए जाते हैं. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इस क्षेत्र के कई ऐसे नौजवान अपने हाथों में डिग्री लेकर नौकरी की तलाश में घूम रहे हैं परंतु उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती और वह मजबूर होकर दूसरे प्रदेश में जाने के लिए विवश हो जाता है. चुनाव की तारीख भी नजदीक आ रही है ऐसी स्थिति में लोगों का सवाल करना जायज है कि हम लोग आखिर कब तक सिर्फ वोट ही देते जाएंगे. आखिर इन सभी मुद्दों पर कब तक राजनीति होगी या फिर कभी इन मुद्दों पर काम भी हो पाएगा कि नहीं. बरसों पुरानी एक योजना जो नगर के लिए शुरू होने वाली थी जिसे शहरी जलापूर्ति योजना के नाम से जाना जाता है यह भी एक राजनीति का मुद्दा ही बनकर रह गया है . बहरहाल जो भी हो इन मुद्दों को लेकर पक्ष विपक्ष को राजनीति करने से बेहतर है की इन मुद्दों के ऊपर काम हो. अगर हॉस्पिटल की हालत खराब है तो स्वास्थ्य मंत्री को बोलकर यहां पर डॉक्टर लाने की जरूरत है. शिक्षा व्यवस्था बेहतर नहीं है तो शिक्षा मंत्री को बोलकर शिक्षकों की बहाली करने की जरूरत है. किसानों की बुनियादी सुविधाओं के लिए कृषि मंत्री से सहायता लेने की जरूरत है. ऐसे बहुत सारे काम है जो विपक्ष और शासक दल दोनों मिलकर कर सकते हैं. परंतु अगर चाहे तो. वरना तो सिर्फ राजनीति ही होती रहेगी

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