रामगढ़।श्री गुरु नानक पब्लिक स्कूल के छात्रों के लिए एक प्रेरणादायक और शैक्षिक भ्रमण का आयोजन किया गया, जिसमें कक्षा नर्सरी से 2 तक के बच्चों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुभवात्मक शिक्षण के माध्यम से छात्रों में विभिन्न जीवन कौशल और सामाजिक गुणों का विकास करना था। इस अनूठे अवसर ने बच्चों को पाठ्यपुस्तकों से परे जाकर वास्तविक दुनिया को जानने-समझने का अवसर प्रदान किया।पोस्ट ऑफिस में कक्षा 1 के बच्चों का अनुभव कक्षा 1 के बच्चे स्थानीय डाकघर का भ्रमण करने गए, जहाँ उन्होंने पोस्टकार्ड लिखने और भेजने की प्रक्रिया सीखी। बच्चों ने अपनी माताओं के लिए प्यार भरे संदेश लिखे और डाकघर के विभिन्न कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। यह अनुभव न केवल उनके संचार कौशल को निखारने में सहायक सिद्ध हुआ, बल्कि उन्हें व्यावहारिक जीवन में उपयोगी प्रक्रियाओं से भी अवगत कराया। डाकघर पदाधिकारी ए एस पी नविन अग्रवाल ने बच्चों में चॉकलेट वितरण किया ।
कक्षा 2 के बच्चों का रेलवे स्टेशन भ्रमण कक्षा 2 के बच्चों ने रेलवे स्टेशन का दौरा किया, जहाँ उन्होंने मालगाड़ी और पैसेंजर ट्रेन के बारे में जानकारी प्राप्त की। स्टेशन मास्टर ने उन्हें कंट्रोल रूम दिखाया और रेलवे स्टेशन के संचालन के बारे में बताया। बच्चों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, स्टेशन मास्टर ने उनकी जिज्ञासा को शांत किया और उन्हें भारतीय रेलवे के कार्यों से परिचित कराया।पार्क में नर्सरी से यू के जी के बच्चों का प्रकृति से साक्षात्कारनर्सरी से यू के जी तक के बच्चों को पार्क ले जाया गया, जहाँ उन्होंने प्रकृति की सुंदरता और उसके रखरखाव के महत्व को समझा। बच्चों ने झूलों का आनंद लिया और साफ-सफाई के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित किया। इसके अलावा, उन्हें सूर्य नमस्कार के 12 आसनों के बारे में जानकारी दी गई और उन्होंने इसे करने की कोशिश भी की, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रोत्साहित हुआ।प्राचार्य श्री हरजाप सिंह ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया।कार्यक्रम में प्रबंधक कमेटी और शिक्षकों सहयोग रहा। स्कूल प्रबंधक कमेटी के सदस्यों ने भी इस आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विद्यालय के प्रधानाचार्य और शिक्षकों ने भी बच्चों की देखभाल में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे भ्रमण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।विद्यालय की ओर से बच्चों के लिए जलपान की भी व्यवस्था की गई, जिससे यह भ्रमण एक सुखद अनुभव बन गया।