राजमहल/साहिबगंज(उजाला)।राजमहल थाना क्षेत्र के गंगा नदी किनारे गंगा की डॉल्फिन का अवैध रूप से शिकारी द्वारा शिकार किया जा रहा है यह मछुआरे पश्चिम बंगाल से आकर गंगा नदी किनारे काली घाट, हनुमान घाट, महाजनटोली घाट में जाल को बिछाकर डॉल्फिन का शिकार कर रहे हैं और डॉल्फिन को लेकर चले जा रहे हैं , जहां जल एवं पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाले विशेषज्ञ और शोधकर्ताओं को गंगा की डॉल्फिन को बचाने का काम किया जा रहा है तो वहीं अवैध रूप से इसका शिकार भी किया जा रहा है गंगा नदी में डॉल्फिन के रहने से जैव विविधता का संतुलन बना रहता है, अवैध शिकार की सूचना जब हमारे संवाददाता को मिली तो वह घटनास्थल पर शुक्रवार की शाम 03 बजे पहुंचे तो उसने देखा कि मछुआरों द्वारा उसे अवैध रूप से बांधकर नदी के उसे इंजन वाले नाव से लेकर भाग रहा हैं , पुनः घटना शनिवार की सुबह 5 बजे घटना की पुनरावृत्ति हुई इन दो दिनों में 02 डॉल्फिन का शिकार किया गया l
कहीं ना कहीं गंगा नदी में डॉल्फिन की अवैध शिकार का दोषी प्रशासन भी है क्योंकि वह पेट्रोलिंग के माध्यम से इन सब चीजों को ध्यान नहीं दे रही है और शिकारी खुले आम शिकार कर रहे हैं ,एक और सरकार के द्वारा डॉल्फिन का संरक्षण की कवायद की जा रही है तो वहीं इनका अवैध रूप से शिकारी किया जा रहा है आपको बताते चलें की इनका शिकार अधिक इसलिए होता है कि उनसे जो तेल बनता है वह बहुत ही महंगी कीमत पर बेचा जाता है जिसके वजह से भी शिकार किया जा रहा हैं l मछुआरों द्वारा मच्छरदानी वाले जाल का भी प्रयोग कर छोटे-छोटे मछलियों को भी मार दिया जा रहा है जिससे जैव विविधता का खतरा पूरा मंत्र आ रहा है lजब इस मामले को लेकर पर्यावरणविद डॉ रणजीत कुमार सिंह भू वैज्ञानिक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जैव विविधता और जलीय जीव जंतु के लिए डॉल्फिन को मारना खतरनाक है इससे पर्यावरण और जैव विविधता का संतुलन बना रहता है