दो दशकों बाद फिर बाजार में छाई कुल्हड़ वाली चाय

धनबाद। शहर में एक बार फिर से कुल्हड़ की डिमांड बढ़ने लगी है. होटल, ढाबा सहित चाय की दुकानों पर प्लास्टिक और कागज से बने कप और गिलास की जगह अब फिर से मिट्टी के  कुल्हड़ सजने लगे हैं.  ग्राहक भी मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पीना पसंद कर रहे हैं. दो दशक पहले लोग कुल्हड़ में ही चाय पीते थे. समय ने करवट ली तो कुल्हड़ भी गायब हो गया. दुकानदार प्लास्टिक और कागज के बने कप में चाय परोसने लगे. पहले तो लोगों ने नाक-भौं सिकोड़ी. मगर शीघ्र ही फिर प्लास्टिक के कप दुकान से लेकर घरों तक छा गए. अब फिर समय ने ही कुल्हड़ को आगे बढ़ाया है, तो लोग भी बड़ी दिलेरी से उसे अपना रहे हैं.

अब जिले के लगभग 90 प्रतिशत दुकानदार कुल्हड़ में चाय परोस रहे हैं. ज्यादातर लोगों की फरमाइश भी होती है- कुल्हड़ वाली चाय चाहिए. दुकान पर चाय पी रहे कुछ लोगों ने बताया कि ज्यादातर दुकानों पर कांच के गिलास सही ढंग से साफ नहीं किये जाते. इस कारण बैक्टीरिया के संपर्क की संभावना बढ़ जाती है. वहीं मिट्टी के कुल्हड़ पूरी तरह से स्वच्छ व हाइजेनिक हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद से लोग मिट्टी के कुल्हड़ पसंद करने लगे है.

क्या कहते हैं दुकानदार

पिछले दो दशक से चाय की दुकान चला रहे दुकानदार अब्दुल रहमान ने बताया कि पहले मिट्टी के कुल्हड़ में चाय परोसी जाती थी. उस वक्त प्लास्टिक,  कागज या थर्माकोल से बने कप या ग्लास का प्रचलन नहीं था. लेकिन समय बदलता गया और कुल्हड़ की जगह प्लास्टिक और कागज से बने कप ने ले ली. लेकिन कोरोना के बाद लोग कांच के गिलास और डिस्पोजल कपों में चाय पीने से परहेज करने लगे हैं.  ग्राहकों की मांग मिट्टी के बने कुल्हड़ की होने लगी.  अब 100 में 75 लोग कुल्हड़ में ही चाय पीना पसंद कर रहे हैं.

 महंगी बिक रही है कुल्हड़ की चाय

हीरापुर के चाय विक्रेता संजय कुमार गुप्ता ने बताया कि डिस्पोजल कप की अपेक्षा कुल्हड़ की चाय थोड़ी महंगी है.  कागज से बने कप की चाय के 6 रुपये लगते हैं, तो मिट्टी के कुल्हड़ की अलग अलग साइज में 7 से 20 रुपये तक की चाय आती है. उन्होंने बताया कि फिलहाल अधिकतर चाय दुकानों पर तीन से चार प्रकार के कुल्हड़ मिल जाएंगे. सबसे छोटे कुल्हड़ में ₹7 की चाय मिलती है. उससे थोड़ी बड़ी कुल्हड़ में ₹10 , थोड़ी मीडियम ₹15 और बड़े प्याले में ₹20. लोकल कस्टमर्स दिन भर में लगभग 5 से 7 बार चाय पीते हैं. वे मिट्टी की जगह कागज के बने कप में चाय पीते हैं.

        क्या कहते हैं ग्राहक

दुकान पर चाय पीने पहुंचे इंद्रजीत सिंह ने बातचीत में बताया कि कुल्हड़ की चाय सेहत के लिए फायदेमंद है और स्वादिष्ट भी होती है. बीच में यह प्रचलन खत्म हो गया था. अब फिर से लोग जग गए हैं और उन्हें मिट्टी के कुल्हड़ में चाय की सोंधी खुशबू और स्वाद का पता चल गया है. इसलिए बुजुर्गों के साथ युवा पीढ़ी भी अब कुल्हड़ में चाय मांग रही है।

विशाल चौधरी का कहना है कि कुल्हड़ में गर्मागर्म चाय डालते ही मिट्टी की सौंधी खूशबू उठती है. यह खुशबू खुशनुमा एहसास से भर देती है. चाय का टेस्ट बदल जाता है, जो हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है. कुल्हड़ में चाय पीने से डाइजेशन सिस्टम सही रहता है. कोई साइड या बैड इफेक्ट नहीं होता. कुल्हड़ में चाय और मिट्टी के घड़े का पानी शरीर को फायदा ही पहुंचाता है.

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