भ्रूण जांच करना और करवाना दोनो दंडनीय अपराध: उपायुक्त

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हजारीबाग गर्भाधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम (पीसीपीएनडीटी एक्ट) गर्भ में लिंग की पहचान करने के खिलाफ कानून को बेहतर ढंग से लागू करने को लेकर उपायुक्त श्रीमती नैंसी सहाय ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारीयों को अपने प्रखंडों में संचालित अल्ट्रासाउंड केंद्रों की नियमित औचक जांच करने के निर्देश दिए है।
गौरतलब है कि विभिन्न माध्यमों से जिला प्रशासन को यह सूचना प्राप्त हो रही है कि कई अल्ट्रासाउंड संस्थानों में अवैध रूप से लिंग जांच कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि भ्रूण हत्या रोकने के लिये सरकार ने कानून तो लागू कर दिया है. लेकिन, इसकी सार्थकता तभी है जब सभी इस जघन्य कृत्य को रोकने के लिए साथ आए। पीसीपीएनडीटी एक्ट, 1994 के अनुसार गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना दोनों ही दंडनीय अपराध है|उपायुक्त ने इस अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू कराने के निर्देश दिए है। पीसीपीएनडीटी एक्ट के अनुसार लिंग जांच करने वाले को पांच साल की सजा या एक लाख का जुर्माना का प्रावधान है। इसके अलावा, जो व्यक्ति भ्रूण लिंग जांच में लिप्त पाया जाता है उसे भी पांच साल की सजा या 50,000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

उपायुक्त के निर्देश पर केरेडारी अंचलाधिकारी द्वारा की गई छापेमारी

केरेडारी स्थित भारत पेट्रोलियम के नजदीक अवैध रूप से संचालित अल्ट्रासाउंड क्लिनिक पर उपायुक्त के निर्देश पर अंचलाधिकारी ने औचक छापेमारी किया। इस दौरान
अल्ट्रासाउंड मशीन को जब्त कर जिला स्तरीय टीम को सौंप दिया गया जिसे वो अपने साथ ले गई। अवैध कार्य में लिप्त अल्ट्रासाउंड क्लीनिक को सील कर दिया गया।

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