जमशेदपुर : साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को लेकर रविवार को प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन सिविल कोर्ट लोक अदालत हॉल में किया गया. मामले के विशेषज्ञ एसआई प्रेमचंद भगत एवं अन्य ने कोर्ट के मध्यस्थ, अधिवक्ता एवं पीएलवी को जागरूक किया. उन्हें बताया गया कि साइबर ठग इन दिनों अलग-अलग-तरीकों से लोगों को अपने जाल में फांसते हैं. खासकर आपकी निजी जानकारी जुटाकर आपको फोन करते हैं. किसी विभाग का नाम लेकर जानकारी प्राप्त करते हैं. ऐसे में अनजान लोगों से बात करने में सावधानी बरतें. साथ ही ऐसे लोगों से अपनी निजी जानकारी खासकर आधार नंबर, बैंक अकाउंट नंबर कतई साझा नहीं करें. वहीं उन्होंने गुगल प्ले स्टोर पर मौजूद कई एप के बारे में जानकारी दी. जिन्हें डाउनलोड करने से बचें.
ठगी के शिकार होने पर 130 पर करें कॉल
प्रशिक्षक प्रेमचंद भगत ने बताया कि अगर जाने-अनजाने में ठगी के शिकार हो गए हैं, तो सबसे पहले साइबर ठगी हेल्प लाइन नंबर 130 पर कॉल कर सूचित करें. उसके बाद विभाग की वेबसाइट पर जाकर अथवा साइबर थाने में जाकर प्राथमिकी दर्ज कराएं. इस दौरान मोबाइल में साइबर ठग द्वारा भेजे गए किसी भी डिटेल्स को डिलीट नहीं करें. उन्होंने कहा कि जागरूकता से ही ठगी से बचा जा सकता है. उन्होंने कहा कि कई मामलों में विभाग ठगों से पैसे वापस दिला चुका है. इसलिए तत्परता एवं जागरूकता जरूरी है.
कोर्ट की प्रक्रियाओं की दी जानकारी
प्रशिक्षक प्रेमचंद भगत ने बताया कि साइबर ठगी की प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कोर्ट को सूचित किया जाता है. ठग चिन्हित होने के बाद उसके अकाउंट को फ्रिज कराया जाता है. यहां तक कि ठगी का पैसा जिन-जिन के अकाउंट में गया है, सारे अकाउंट फ्रिज कराए जाते हैं. जिससे ठगी का पैसा निकल नहीं पाए. अनुसंधान के बाद कोर्ट के आदेश से पैसे वापस दिलाए जाते हैं. बिष्टुपुर साइबर थाने की ओर से वर्ष 2018 अब तक 5 करोड़ रुपये वापस दिलाए गए हैं.