माननीया सदस्य, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने की प्रेस वार्ता |

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साहिबगंज(उजाला)।डॉ आशा लकड़ा, माननीया सदस्य,राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आवश्यक बातें बताई।राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) की स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338 में संशोधन करके और संविधान (89वाँ संशोधन) अधिनियम, 2003 द्वारा संविधान में एक नया अनुच्छेद 338A सम्मिलित कर की गई थी।अतः यह एक संवैधानिक निकाय है। अनुच्छेद 338A अन्य बातों के साथ-साथ NCST को संविधान के तहत या किसी अन्य कानून के तहत या सरकार को किसी अन्य आदेश के तहत STS को प्रदान किये गए विभिन्न सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी करने और ऐसे सुरक्षा उपायों के कामकाज का मूल्यांकन करने की शक्ति प्रदान करता है।NCST को संविधान के तहत या अन्य कानूनों के तहत या अनुसूचित जनजाति के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों से संबंधित मामलों की जाँच एवं निगरानी का अधिकार है।

अनुसूचित जनजातियों को उनके अधिकारों और सुरक्षा उपायों से वंचित करने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जाँच करना। अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और सलाह देना एवं उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।राष्ट्रपति को वार्षिक रूप से और ऐसे अन्य समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना जब आयोग उन सुरक्षा उपायों के कार्य पर रिपोर्ट देना उचित समझे।अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण, कल्याण और विकास तथा उन्नति के संबंध में ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करना, जो राष्ट्रपति संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन नियम द्वारा विनिर्दिष्ट करे।वहीं माननीया सदस्य द्वारा पत्रकारों के सवालों का जवाब भी दी।मौके पर उप विकास आयुक्त सतीश चंद्रा, परियोजना निदेशक आईटीडीए मंजू रानी स्वांसी, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी जयवर्धन कुमार एवं प्रेस मीडिया के प्रतिनिधि गण उपस्थित थे।

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