रांची। शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस के दिन ख़ातियानी लोहार / लोहरा जनजाति समाज अपनी सामाजिक न्याय यात्रा और अधिकार यात्रा के तहत चार दिवसीय पैदल यात्रा का आज अंतिम दिन दुर्गा सोरेन चौक से चल कर लालपुर भगवान बिरसा मुण्डा के समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित करके पद यात्रा पुनः लालपुर होते हुए अल्बर्ट एक्का चौक से शहीद चौक होते राजभवन पहुँची। महामहिम राज्यपाल का व्यस्त कार्यक्रम होने के कारण वार्ता के लिए समय नहीं मिल पाया, उनके प्रतिनिधि के रूप में मजिस्ट्रेट असीम बारा से वार्ता हुई ज्ञापन सौंपा गया। असीम बारा द्वाराजल्द ही महामहिम राज्यपाल जी से भेंट सह वार्ता कराने का आश्वासन दिया गया।यह सामाजिक न्याय और अधिकार यात्रा समाज के साथ हो रहे अन्याय और संवैधानिक भेदभाव के खिलाफ प्रतिकार के रूप में था। समाज को जागरूक करने और सरकार को संदेश देने से संबंधित था ।
प्रमुख माँग-
- लोहार (LOHARA) को अविलम्ब झारखण्ड के अनुसुचित जनजाति आदेश में पुनर्स्थापित कराया जाए।
- लोहार ( LOHARA ) संविधान के प्रारम्भ से ही अनुसुचित जनजाति आदेश का हिस्सा है।
- लोहरा कोई अलग से जाति / जनजाति नही बल्कि लोहरा , लोहार का ही पर्यायवाची ( Synonym) / क्षेत्रीय नाम अथवा पहचान ( Local name ) है।
- लोहार ( LOHARA ) आज भी CNT की सूची में वर्तमान है।
- लोहार खतियान की जमीन पर CNT की 46 लागू है।
- CNT की अवहेलना कर लोहार खतियान की जमीन की खरीद बिक्री को पूरी तरीके से अवैध घोषित किया जाए।
- भारतीय गजट अनुसुचित जनजाति आदेश 1950,1956,1976 का अनुपालन सुनिश्चत किया जाए।