विनोबा भावे विश्वविद्यालय के 33 वें स्थापना दिवस पर माननीय राज्यपाल-सह-झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति महोदय के संबोधन के मुख्य बिन्दु |

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जागेशवर कुमार@ झारखंड उजाला ब्यूरो

हजारीबाग:- विनोबा भावे विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर आज आयोजित इस समारोह में आप सभी के बीच सम्मिलित होकर मुझे अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। यह दिन न केवल विश्वविद्यालय के सफर को याद करने का है, बल्कि हमारे सामने भविष्य की चुनौतियों और अवसरों पर विचार करने का भी समय है। हम जिस राज्य में हैं, वह अपार संभावनाओं वाला प्रदेश है। इस राज्य को कैसे आगे ले जाएं, यह गहन चिंतन का विषय है।विनोबा भावे विश्वविद्यालय के इस स्थापना दिवस के अवसर पर मैं सभी छात्रों, शिक्षकों, और कर्मियों को बधाई देता हूँ, जिन्होंने इस विश्वविद्यालय को ऊँचाइयों तक पहुँचाने में निरंतर योगदान दिया है। किसी भी संस्थान का स्थापना दिवस सिर्फ उत्सव का समय नहीं होता, यह आत्म-निरीक्षण और आत्म-चिंतन का भी अवसर होता है। हमें यह सोचना चाहिए कि हमने अब तक जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उनमें कहाँ तक सफल हुए हैं और किन क्षेत्रों में हमें और प्रयास करने की आवश्यकता है।

यही दृष्टिकोण हमें आने वाले वर्षों में और भी ऊंचाइयों तक ले जाएगा।यह गर्व का विषय है कि यह विश्वविद्यालय महान संत विनोबा भावे जी के नाम से जुड़ा है, जिन्होंने अपने जीवन को समाज सुधार और भू-दान जैसे यज्ञों के लिए समर्पित किया। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए कार्यों ने समाज को एक नई दिशा दी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय, उन्हीं मूल्यों को आगे बढ़ाते हुए, ज्ञान और मूल्य आधारित शिक्षा को और सक्रियता के साथ बढ़ावा देता रहेगा।आज हमारे देश के लिए भी एक विशेष दिन है, क्योंकि आज हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन है। मैं उन्हें समस्त राज्यवासियों की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई देता हूँ।माननीय प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत न केवल आर्थिक और सामाजिक मोर्चों पर उन्नति कर रहा है, बल्कि ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की ओर भी तेजी से अग्रसर है। आज हमारा देश वैश्विक मंच पर अपनी अमिट पहचान बना चुका है तथा प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से एक नया अध्याय लिखा है। इस नीति के तहत हमारे शिक्षण संस्थानों को अधिक समावेशी, लचीला और बहुआयामी बनाया गया है, ताकि विद्यार्थी अपनी रुचियों और क्षमताओं के अनुसार विकास कर सकें। यह नीति शिक्षा में नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करती है, जो देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। खुशी है कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय भी इस नीति के आदर्शों को अपनाते हुए छात्रों को न केवल व्यावसायिक शिक्षा बल्कि नैतिक और मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान कर रहा है, जो अत्यंत सराहनीय है।आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में केवल तकनीकी शिक्षा ही पर्याप्त नहीं है, छात्रों को नैतिकता, समाज के प्रति उत्तरदायित्व और नेतृत्व के गुणों से भी सुसज्जित होना चाहिए। मैं, झारखंड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में, उच्च शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हूँ। शिक्षण संस्थानों में बेहतर वातावरण हों, कक्षाएं नियमित हों। साथ ही एकेडमिक केलेण्डर का पालन हो तथा शोध के स्तर में सुधार हो।

मैं राज्य में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने हेतु विभिन्न शिक्षाविदों से चर्चा करता हूँ। मैं चाहता हूं कि आप सबके सहयोग से हमारा विश्वविद्यालय पूरे देश में विशिष्ट पहचान स्थापित करेगा। हमारा उद्देश्य यह होना चाहिए कि हमारे शिक्षण संस्थान नैक ग्रेडिंग में सुधार करें और अपने छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में कार्य करें।शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ डिग्री प्राप्त करना या रोजगार पाना नहीं होना चाहिए, बल्कि इसका प्रमुख उद्देश्य एक जिम्मेदार और संवेदनशील समाज का निर्माण करना है। प्रधानमंत्री जी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने के लिए हमें ऐसे युवाओं की आवश्यकता है, जो समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें और उनमें नेतृत्व की क्षमता हो।मुझे विश्वास है कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय इस दिशा में निरंतर प्रगति करता रहेगा और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देगा।अंत में, मैं पुनः सभी को विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ और आशा करता हूँ कि यह संस्थान भविष्य में और भी ऊँचाइयों को छूएगा।
जय हिंद!
जय झारखण्ड

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