राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 4835 मामलों का हुआ निष्पादन

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साहिबगंज(उजाला)।राष्ट्रीय लोक अदालत में किये गए निर्णय आपकी सहमती से होते हैं जिससे आपस की लड़ाई वहीं खत्म हो जाती है।इसमें पक्षकार आपस में फैसला स्वयं करते हैं न कि न्यायालय फैसला करती है। उपर्युक्त बातें प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, साहेबगंज श्री अखिल कुमार ने आज व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित लोक अदालत कक्ष में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा।उन्होंने कहा कि न्यायालय जब भी फैसला करती है, तो उसमें एक पक्ष असंतुष्ट रहता है, एक पक्ष को लगता है कि मेरे साथ अन्याय हुआ है और वह ऊपर की अदालत में अपील करता है | परन्तु लोक अदालत में जो मामलों का निपटारा किया जाता है उसके अपील का कोई प्रावधान नहीं किया गया है, क्योंकि पक्षकार खुद अपने मामलों का सुलह अपने शर्तों के आधार पर करते हैं।इसलिए इसमें किसी भी पक्षकारों में असंतोष की कोई भी संभावना नहीं रहती है और दोनों पक्षों की जीत होती है , तो मामला यहीं पर समाप्त हो जाता है, यही इसकी खूबसूरती है |

उन्होंने कहा कि समाज में समस्याएँ बहुत हैं, हर छोटी-छोटी बातों पर मुकदमें होते रहते हैं जिससे न्यायालयों पर भी बोझ अधिक है और निस्तारण करने में देरी होती है परन्तु इस प्रक्रिया से वादों का निष्पादन जल्दी हो जाता है | उन्होंने सभी विभाग के पदाधिकारियों से अधिक से अधिक मामलों के निष्पादन में सहयोग करने की अपील की।सर्व प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत का विधिवत् उद्घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, साहेबगंज श्री अखिल कुमार, आरक्षी अधीक्षक कुमार गौरव, उप विकास आयुक्त सतीश चन्द्र, वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रबल गर्ग, प्राधिकार के सचिव विश्वनाथ भगत, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रेम नाथ तिवारी सहित अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित किया। मंच का संचालन असिस्टेंट एल०ए०डी०सी० अमरेन्द्र श्रीवास्तव ने किया।राष्ट्रीय लोक अदालत में दस बेंचों के माध्यम से साहेबगंज में कुल वादों की संख्या 4444 जिसमें कोर्ट में लंबित, प्री-लिटिगेशन के मामले (बैंक ऋण व अन्य) शामिल है एवं राजमहल अनुमंडल में कुल 391 वादों का निष्पादन किया गया है । जिसका समझौता राशि साहेबगंज में रू 551126293 और राजमहल में रू 3954678 कुल 555080971 (पचपन करोड़ पचास लाख अस्सी हजार नौ सौ इकहत्तर रुपए) है।

उप विकास आयुक्त सतीश चन्द्र, आरक्षी अधिक्षक कुमार गौरव, वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रबल गर्ग, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रेम नाथ तिवारी ने भी संबोधित किया | इन लोगों ने भी लोक अदालत को शीघ्र, सस्ता, एवं सुलभ न्याय पाने का सशक्त माध्यम बताया । इसके माध्यम से जहाँ एक ओर लोगों के समय एवं पैसों की बचत होती है, वहीं लोगों को त्वरित न्याय भी मिल पाता है। लोक अदालत की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढती जा रही है।परन्तु अभी और प्रसार – प्रचार की आवश्यकता है |

इस लोक अदालत में जिला न्यायाधीश सह अपर सत्र न्यायाधीश – प्रथम धीरज कुमार, जिला न्यायाधीश सह अपर सत्र न्यायाधीश – द्वितीय विरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव , जिला न्यायाधीश सह अपर सत्र न्यायाधीश – III शेखर कुमार, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धर्मेन्द्र कुमार, न्यायिक दंडाधिकारी सह सिविल जज राजेश कुमार श्रीवास्तव, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी तुषार आनंद, रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी राहुल कुमार, न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणी सुमित कुमार वर्मा, स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष राकेश कुमार मिश्रा, जिला लोक अभियोजक आनंद कुमार चौबे, मुख्य लीगल एड डिफ़ेंस कौंसिल अरविन्द गोयल व उनकी टीम, अग्रणी बैंक प्रबन्धक सुधीर कुमार, प्रशासनिक पदाधिकारीगण, बैंक कर्मी, पारा विधिक स्वयं सेवक एवं अन्य विभागों के पदाधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।

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