उत्क्रमित उर्दू मध्य में दो शिक्षकों के भरोसे 600 बच्चों का भविष्य अंधकार में, विद्यालय में शीघ्र ही शिक्षकों की बहाली करें सरकार
उधवा/साहिबगंज (उजाला)।
शिक्षा विभाग व सरकार के उदासीनता के कारण स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ठप है। स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है,जब स्कूल में बच्चों को शिक्षा ही ना मिले तो बच्चों का भविष्य पर कितना गहरा असर पड़ेगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते है। दरअसल हम बात कर रहे है पश्चिमी उधवा दियारा पंचायत के उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय उधवा दियारा की, जहां इस स्कूल में एक भी सरकारी शिक्षक की अब तक नियुक्ति नही की गई है। स्कूल में कुल 590 छात्र छात्राएं नामांकित है। इतने सारे बच्चों में महज दो ही सहायक अध्यापक पदस्थापित है। मो. तोफिकुल अली प्रभारी प्रधानाध्यापक है। आप अंदाजा लगा सकते है कि शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा। दो शिक्षकों के भरोसे इतने सारे बच्चों का भविष्य दांव पर है। शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई की कोर्स पूरी नहीं हो रही है। बच्चों का पढ़ाई अधूरा होने पर बच्चे परीक्षा को लेकर काफी चिंतित हो रहे है। दो शिक्षकों के द्वारा स्कूल सही से संचालित नही हो रही है। यह मामला सिर्फ उधवा प्रखंड में संचालित करीब दर्जनों स्कूलों की है। जहां शिक्षकों की कमी से शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बदहाल स्थिति में है। सरकार व विभाग को इस पर जल्द पहल करने की आवश्यकता है।
इस संबंध में क्या कहते हैं मुखिया
इस संबंध में पश्चिमी उधवा दियारा पंचायत के मुखिया जियाउल हक उर्फ शास्त्री ने कहा कि सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति नही होने से बच्चों को काफी दिक्कत होती है। शिक्षा व्यवस्था भी पूरी तरह ठप है। दो शिक्षकों के भरोसे करीब छह सौ बच्चों के पढ़ाई लिखाई नियमित रूप से नही होती है। उक्त विद्यालय में सरकार को शीघ्र ही शिक्षको की बहाली करने की जरूरत है।