राधेश्याम@झारखंड उजाला ब्यूरो चीफ गोड्डा
गोड्डा : गोड्डा जिले में अचिकित्सा सहायक संजय कुमार मिश्रा ने सभी एएनएम तथा साहिया को कुष्ठ के बारे में बताते हुए कहा कि कुष्ठ रोग एक संक्रामक रोग है जो हाथों, पैरों और शरीर के आस-पास त्वचा पर गंभीर घाव और तंत्रिका क्षति का कारण बनता है।कुष्ठ रोग प्राचीन काल से ही मौजूद है। लेकिन कुष्ठ रोग इतना संक्रामक नहीं है।आप इसे तभी पकड़ सकते हैं जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के नाक और मुंह से निकलने वाली बूंदों के नज़दीक और बार-बार संपर्क में आते हैं जिसका इलाज नहीं हुआ है।बच्चों को वयस्कों की तुलना में कुष्ठ रोग होने की अधिक संभावना होती है। जब इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो वह एम. लेप्री बैक्टीरिया युक्त बूंदें फैला सकता है जिसे दूसरा व्यक्ति सांस के साथ अंदर ले लेता है। कुष्ठ रोग फैलाने के लिए संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट शारीरिक संपर्क होना ज़रूरी है। यह हाथ मिलाने, गले लगाने या बस में या भोजन के दौरान किसी के बगल में बैठने जैसे आकस्मिक संपर्क से नहीं फैलता है।कुष्ठ रोग से पीड़ित गर्भवती माताओं से यह रोग उनके शिशुओं में नहीं फैल सकता।
यह यौन संपर्क से भी नहीं फैलता। कुष्ठ रोग का शीघ्र पता लगाना और उपचार करना इसे फैलने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है।वैसे तो आपको कुष्ठ रोग होने का जोखिम कम है, लेकिन आप कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की त्वचा और शरीर के तरल पदार्थों के साथ निकट संपर्क से बचकर इसके जोखिम को और कम कर सकते हैं। अगर आपके घर में किसी का कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति से संपर्क हुआ है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।जब स्थिति बढ़ती है, तो लक्षण निम्न हो सकते हैं:भौंहों और/या पलकों का झड़ना आपके पैरों के तलवों पर घाव जो ठीक नहीं होते दर्द, लालिमा और जलन नाक, हाथ और पैरों की विकृतियाँ अंधापन छोटे पैर की उंगलियां और अंगुलियां आपके पैरों और हाथों का पक्षाघात।इस मौके पर जिला शहरी स्वास्थ्य प्रबंधक जयशंकर, फिजियोथेरेपी राकेश कुमार,अर्बन कम्यूनिटी फेसिलिटेटर प्रहलाद कुमार, सदानंद वर्मा एनटीपी गोड्डा व एएनएम आराधना कुमारी व रीना कुमारी साहिया सोनी प्रेमलता रजनी राखी आदि मौजूद थे।



